वोट कुछ हिन्दू मुसलमां हो गये
जो बचे वो लोग इन्सां हो गये
सरफिरे लोगों ने बांटा दो जहां
लोग अपने घर में मेहमां हो गये
चंद सिक्कों मे बिकी इंसानियत
वो गरीबों पर मेहरबां हो गये
हाल अपना पूछने आये हैं वो
जाने कितने हमपे एहसां हो गये
कैसा जनमत,डर का साया चारसू
लोग चुन चुन के परेशां हो गये
जो बचे वो लोग इन्सां हो गये
सरफिरे लोगों ने बांटा दो जहां
लोग अपने घर में मेहमां हो गये
चंद सिक्कों मे बिकी इंसानियत
वो गरीबों पर मेहरबां हो गये
हाल अपना पूछने आये हैं वो
जाने कितने हमपे एहसां हो गये
कैसा जनमत,डर का साया चारसू
लोग चुन चुन के परेशां हो गये
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