वो तो मजबूरी में लिपटी रहती है ।
अपने शिद्दत भरे ख्यालों में ।
अपनें अंदर छुपी इक औरत में
वो हमेशा ही डरती रहती है ।
ना तो जीती हैं, ना तो मरती है ।
लडकीयां बेवफ़ा नही होती ।
पर हमेशा ही डरती रह्ती है ।
अपनें रीती रिवाजों से
आनें वाले नये अज़ाबों से
ज़रदुरत में खिले गुलाबों से
प्यार करती हैं और छूपाती हैं
लडकीयां बेवफ़ा नही होती ।
क्युं की मजबूरीयों मे लिपटी है
और हर लमहा डरती रहती है
अपनें प्यार से, अपनें साये से
अपनें रिश्तों से दिल की धडकन से
अपनीं ख्वाहीशों से अपनीं खुशीयों से
लडकीयां बे वफ़ा नहीं होती ॥
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